बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्शसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श
प्रश्न- भारत में निर्देशन एवं परामर्श की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
भारत में निर्देशन एवं परामर्श का कार्य धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसकी प्रगति कंब होगी यह कहना मुश्किल है। क्योंकि निर्देशन के क्षेत्र में जो भी कार्य हो रहे हैं, वे अपूर्ण, अपर्याप्त एवं दोषयुक्त हैं। इसका कारण निर्देशन कार्य में आने वाली समस्यायें हैं। ये समस्यायें निम्नलिखित हैं-
1. अध्यापकों पर अत्यधिक कार्यभार - विद्यालयों में छात्रों की संख्या के अनुपात में अध्यापकों की संख्या कम है। कक्षाओं में अध्यापकों पर कार्यों का अत्यधिक बोझ होता है। जैसे परीक्षण सम्बन्धी कार्य, रजिस्टर अभिलेख, परीक्षाओं सम्बन्धी कार्य तथा अन्य गौण कार्य। इसके साथ यदि अध्यापक पर निर्देशन का कार्य भी सौंप दिया जाये, तो यह संभव नहीं है।
2. अध्यापकों का रूढ़िवादी दृष्टिकोण - हमारे देश में अधिकांश व्यक्ति भी नया करने से डरते हैं और पुराने ढर्रे पर ही कार्य करते रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप वे नये व रचनात्मक कार्यों को उत्साहपूर्वक नहीं कर पाते तथा प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात भी उनके शिक्षण में कुछ भी नयापन नहीं होता है। इसी कारण हमारे देश में निर्देशन कार्य इस क्षेत्र में प्रगति नहीं कर पा रहा है।
3. अशिक्षित एवं रूढ़िवादी अभिभावक - हमारे देश की अधिकांश जनता गाँवों में निवास करती है। शहरों की अपेक्षा गाँवों में पिछड़ापन व अशिक्षा ज्यादा देखने को मिलती हैं। गाँव के लोग रूढ़िवादी भी होते हैं। गाँवों में अधिकांश लोग निर्देशन व परामर्श के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं तो वह उनके महत्व के बारे में कैसे जानेंगे? शहरों में भी अभिभावक रूढ़िवादिता के कारण बालकों को व्यवसाय चुनने की स्वतन्त्रता नहीं देते हैं और परम्परागत व्यवसाय चुनने को बाध्य करते हैं। यह भी निर्देशन की प्रगति में एक महत्वपूर्ण समस्या है।
4. प्रशिक्षित अध्यापक का अभाव - भारत की शिक्षा व्यवस्था ऐसी है कि योग्य तथा कुशल शिक्षकों का मिल पाना एक समस्या है। यहाँ पर अप्रशिक्षित शिक्षकों व अप्रशिक्षित निर्देशकों के कारण निर्देशन प्रदान करने में अत्यन्त कठिनाई होती है। निर्देशन देने में प्रशिक्षित, कुशल एवं धैर्ययुक्त व्यक्ति की आवश्यकता होती है क्योंकि थोड़ी-सी असावधानी से एक व्यक्ति का समस्त जीवन नष्ट हो सकता है।
5. विद्यालयों में विद्यार्थियों की बढ़ती हुई संख्या - विद्यालयों में छात्रों की अधिक संख्या होने के कारण, शिक्षकों का छात्रों से व्यक्तिगत सम्पर्क नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में शिक्षक छात्र को व्यक्तिगत रूप से निर्देशन व परामर्श कैसे दे सकता है।
6. विद्यालयों की दयनीय आर्थिक स्थिति - हमारे विद्यालयों की आर्थिक स्थिति ही बहुत सोचनीय है। अधिकांश सरकारी विद्यालयों में आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था भी नहीं होती है। इनमें कुछ विद्यालय तो ऐसे हैं, जो अपने शिक्षकों को वेतन भी सही समय पर नहीं दे पाते हैं। ऐसी स्थिति में विद्यालयों में निर्देशन का व्यय कैसे सहन किया जा सकता है। हमारे देश में विद्यालयों की दयनीय आर्थिक स्थिति भी निर्देशन प्रगति में कठिनाई पैदा करती है।
7. साधनों का अभाव - हमारे देश में, विद्यालयों में समुचित साधनों की व्यवस्था नहीं है और जो साधन उपलब्ध हैं उनका सही रूप से प्रयोग नहीं किया जाता है। अतः साधनों के अभाव में और उपलब्ध साधनों का समुचित उपयोग न होने से निर्देशन के क्षेत्र में प्रगति नहीं हो पा रही है !
8. व्यावसायिक सूचना के संकलन तथा विश्लेषण हेतु संगठित व्यवस्था का अभाव - निर्देशन कार्य में व्यावसायिक सूचना का विशेष महत्व है। इसके अन्तर्गत छात्रों को व्यवसायों का चुनाव करने में सहायता प्रदान की जाती है। व्यावसायिक निर्देशन का आधार व्यावसायिक सूचना है। यदि निर्देशन कार्यकत्ताओं को व्यावसायिक सूचनाओं का सही ज्ञान नहीं है, तो निर्देशन का कार्य सही रूप से नहीं हो सकता। भारत में सूचनाओं को एकत्रित करने तथा उनका विश्लेषण करने हेतु अभी तक कोई व्यापक एवं संगठित व्यवस्था नहीं की गई है। इसके कारण हमारे देश में निर्देशन के कार्य में बाधा आती है।
9. प्रमापीकृत परीक्षणों का अभाव - बालकों की प्रतिभा का मूल्यांकन करने के लिए परीक्षणों की आवश्यकता होती है, लेकिन हमारे देश में प्रमापीकृत परीक्षणों का अभाव हैं। निर्देशन कार्यों के लिए 'परीक्षण' बहुत ही महत्वपूर्ण सामग्री होते हैं। हमारे देश में जो भी परीक्षण उपलब्ध हैं, वे अंग्रेजी भाषा में हैं। अतः ये परीक्षण निर्देशन कार्य को पूरा करने में असमर्थ हैं, क्योंकि अधिकांश छात्र ऐसे हैं, जो अंग्रेजी नहीं जानते। हमारे देश में अभी तक इस क्षेत्र में बहुत सीमित कार्य हो सका है। इन्हीं कारणों से निर्देशन कार्य प्रगति नहीं कर पा रहा है।
10. शिक्षा एवं निर्देशन के क्षेत्र में शोध कार्य का अभाव - शिक्षा एवं निर्देशन के क्षेत्रमें शोध कार्य ने अभी तक प्रवेश नहीं किया है तथा जो कुछ भी कार्य इस अल्प क्षेत्र में हुआ है वह अत्यन्त है। विश्वविद्यालयों में निर्देशन के क्षेत्र में शोध कार्य नहीं के बराबर रहा है, यही कारण है कि हमारे देश में निर्देशन कार्य प्रगति नहीं कर पा रहा है।
11. बेकारी एवं अवसरों का अभाव - हमारे देश में अप्रशिक्षित शिक्षितों की भीड़ है। पढ़े- लिखे होने के बावजूद भी उन्हें उचित रोजगार प्राप्त नहीं होते हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या, एक गंभीर समस्या है। रोजगारों के अभाव में व्यावसायिक निर्देशन ठीक प्रकार से नहीं दिया जा सकता है। यहीं कारण है कि हमारे देश में निर्देशन कार्य प्रगति नहीं कर पा रहा है।
12. जाति-व्यवस्था - हमारे देश में प्राचीनकाल से ही जाति-व्यवस्था एक समस्या के रूप में है। प्राचीनकाल में बालकों को अपने व्यवसाय का चुनाव जाति-व्यवस्था के आधार पर ही करना होता था। बालक को अपनी रुचि, योग्यता तथा क्षमता के आधार पर व्यवसाय चुनने की स्वतन्त्रता नहीं थी। आज भी हमारे देश में अधिकांश परिवारों में यह व्यवस्था चल रही है। इन्हीं कारणों से हमारे देश में निर्देशन कार्य प्रगति नहीं कर पा रहा है।
13. एक राष्ट्रभाषा का अभाव - हमारे देश में विभिन्न प्रकार की भाषायें बोली जाती हैं। प्रत्येक राज्य की एक पृथक राज्यभाषा है तथा एक राज्य में भी अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। अतः एक राज्य का रहने वाला निर्देशन प्रदाता को दूसरे राज्य में जाकर निर्देशन कार्य करने में अत्यन्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त परीक्षणों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद होना आवश्यक है, लेकिन हमारे देश में कुछ भाषायें ऐसी हैं, जिनमें अभी तक किसी परीक्षण का निर्माण ही नहीं हुआ है। अतः इस कारण से भी हमारे देश में निर्देशन का कार्य प्रगति नहीं कर पा रहा है।
14. व्यक्तियों के जीवन-यापन के स्तरों में विषमता - हमारे देश में निर्धन परिवार के बच्चे सरकारी विद्यालयों में या जन कल्याण के लिए चलाये जा रहे विद्यालयों में पढ़ते हैं। ऐसे विद्यालयों में शैक्षिक सुविधाओं एवं साधनों का अभाव होता है। आर्थिक अभावों के कारण निर्धन परिवार के बच्चों को निर्देशन प्रदात्ताओं द्वारा निर्देशन प्राप्त नहीं हो पाता है। दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूल के बच्चों को आर्थिक अभावों का सामना नहीं करना पड़ता है, जिसके कारण अधिकांशतः ऐसे स्कूल निर्देशन लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त करते हैं। निर्धनता के कारण हमारे देश में निर्देशन का कार्य प्रगति नहीं कर पा रहा है।
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- प्रश्न- निर्देशन का क्या अर्थ है? निर्देशन की प्रमुख विशेषताओं तथा क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निर्देशन के महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन की आवश्यकता से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "व्यावसायिक निर्देशन शैक्षिक निर्देशन पर प्रभुत्व रखता है।" स्पष्ट कीजिये एवं इस कथन का औचित्य बताइये।
- प्रश्न- निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन की आधुनिक प्रवृत्तियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के विषय क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निर्देशन तथा शिक्षा में कौन-कौन से मुख्य अन्तर हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के कार्य क्या हैं?
- प्रश्न- निर्देशन की प्रकृति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निदर्शन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "समृद्ध भारत के लिये निर्देशन सेवाओं की अत्यधिक आवश्यकता है।" विभिन्न परिप्रेक्ष्य में इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों तथा शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? व्यक्तिगत निर्देशन के स्वरूप एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर व्यक्तिगत निर्देशन के उद्देश्यों या कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व और आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- छात्रों के व्यावसायिक निर्देशन में विद्यालय क्या भूमिका निभा सकता है?
- प्रश्न- "व्यक्तिगत निर्देशन, निर्देशन का मूलाधार है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन की शिक्षा के क्षेत्र में क्यों आवश्यकता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? इसके मुख्य उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के सिद्धान्त क्या है स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयोगिता का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा से आप क्या समझते हैं? सूचना सेवाओं के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा की कार्य विधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन सेवा से आप क्या समझते हैं? विद्यालय के नियोजन सम्बन्धी कार्यों एवं उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किसी विद्यालय के निर्देशन सेवा के संगठन की आधारभूत आवश्यकताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन सेवा में विद्यालय स्तर पर कार्यरत प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका का विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुवर्ती सेवाओं से आप क्या समझते हैं? इसका क्या प्रयोजन है? अध्ययनरत छात्रों के लिए अनुवर्ती सेवाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- छात्र सूचना या वैयक्तिक अनुसूची सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा की आवश्यक सामग्री का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन सेवा के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श सेवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा कितने प्रकार की होती है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन में आवश्यक सूचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- व्यक्ति निर्देशन में आवश्यक सूचना को बताइये।
- प्रश्न- भारत में व्यवसाय से सम्बन्धित सूचनाओं के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
- प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में परिवार की क्या भूमिका होती है?
- प्रश्न- अनुकूलन सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी आवश्यकता के क्या कारण हैं? स्पष्टतया समझाइये।
- प्रश्न- उपचारात्मक सेवाओं से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अनुवर्ती अध्ययन की समस्याएँ एवं समाधान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों का अनुवर्ती अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों के अनुवर्ती अध्ययन की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कृत्य विश्लेषण एवं कृत्य संतोष में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- विद्यालयों में निर्देशन सेवाओं से आप क्या समझते हैं? विद्यालय निर्देशन- सेवाओं के संगठन के प्रचलित सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवाओं के संगठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा के प्रमुखं कार्य कौन-कौन से हैं? प्राथमिक तथा सैकेण्ड्री स्कूल स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम संगठन के उद्देश्यों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालयी निर्देशन सेवाओं के संगठन की मुख्य संकल्पनाएँ क्या हैं? इसकी आवश्यकता व क्षेत्र क्या है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वर्णन कीजिए कि आप एक शिक्षक के रूप में माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम को किस प्रकार से संगठित करेंगे?
- प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा द्वारा किये जाने वाले मुख्य कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय की निर्देशन संगठन सेवा का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन सेवाओं के सफल संगठन के लिए किन-किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन कार्यक्रमों के सफल संचालन हेतु किन-किन कर्मचारियों की आवश्यकता होती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन सेवाओं के विभिन्न रूपों तथा सिद्धान्तों को संक्षिप्त रूप में बताइए।
- प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श के उद्देश्य तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श की आवश्यकता तथा महत्व का वर्णन कीजिए। अथवा छात्र परामर्श की आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- परामर्श की प्रक्रिया को समझाइए।
- प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श और निर्देशन में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता में कौन-कौन से गुणों का होना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श से सम्बन्धित प्रमुख परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श के उद्देश्यों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "एक परामर्शदाता के लिये समूह गतिशीलता का ज्ञान होना आवश्यक है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्म-परामर्श में सह-सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- व्यक्तिवृत्त-अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र क्या है? संचित अभिलेख पत्र की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? इस पत्र की उपयोगिता की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि से आप क्या समझते हैं? साक्षात्कार प्रविधि के मुख्य तत्त्वों विशेषताओं एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल से आपका क्या अभिप्राय है? इनकी मुख्य विशेषताओं तथा प्रकारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के कितने प्रकार हैं? अनिर्देशित साक्षात्कार प्रविधि के लाभ एवं सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र के निर्माण के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिवृत्त अध्ययन प्रविधि की सीमाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि या निर्धारण मापनी को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार विधि के मुख्य उपयोगों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट करें।
- प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन प्रविधि के दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रश्नावली प्रविधि के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि की कमियों या सीमाओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संचयी आलेख का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- परामर्श प्रदान करने की मुख्य प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श की प्रविधियों की मुख्य धारणाओं, सोपानों तथा लाभ एवं कमियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श की प्रमुख प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशन और परामर्श में साक्षात्कार प्रविधि क्यों अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समन्वित परामर्श से आप क्या समझते हैं? समन्वित परामर्श की मुख्य धारणाओं, लाभों तथा कमियों एवं सीमाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श तथा निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के साधन क्या हैं?
- प्रश्न- निर्देशात्मक परामर्श की प्रमुख विशेषताओं और सीमाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अनिदेशात्मक परामर्श से क्या तात्पर्य है? अनिदेशात्मक परामर्श की मूल धारणाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- समन्वित परामर्श मुख्य चरणों या पदों को संक्षिप्त रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशीय परामर्श के मुख्य चरण या सोपान कौन-कौन से हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श के किसी एक उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता की विशेषताओं, गुणों तथा व्यावसायिक नीतिशास्त्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता में किस प्रकार का अनुभव होना आवश्यक है, बताइये।
- प्रश्न- परामर्शदाता का प्रशिक्षण कार्यक्रम बताइये।
- प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता के व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्रो एवं क्रो के अनुसार परामर्शदाताओं के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शार्थी और परामर्शदाता के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की आवश्यकता बताइए तथा निर्देशन केन्द्रों के उद्देश्य भी बताइए।
- प्रश्न- भारत में निर्देशन एवं परामर्श की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के कार्य बताइए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार, विशेषताएँ एवं सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के मापन से आप क्या समझते हैं? बुद्धि परीक्षणों के प्रकार का वर्जन करते हुए बुद्धिलब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और निर्देशन में बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रुचि क्या है? रुचि की महत्वपूर्ण विशेषताओं और प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति का क्या अर्थ है? अभिवृत्ति परीक्षण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'रुचि आविष्कारिकाएँ' क्या मापन करती हैं? कम से कम दो रुचि आविष्कारिकाओं का नाम बताइए।
- प्रश्न- बुद्धि कितने प्रकार की होती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की मुख्य विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के अर्थ तथा स्वरूप पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रुचि का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- रुचियों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं? संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में रुचि सूचियों के लाभ का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रुचि-सूचियों की कमियां या दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतवर्ष में रुचि मापन के कार्यों पर प्रकाश डालिये।.
- प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विशिष्ट बालकों से क्या अभिप्राय है? उनकी क्या विशेषताएँ हैं? पिछड़े बालकों की शिक्षा एवं समायोजन के लिये निर्देशन व परामर्श का एक कार्यक्रम तैयार कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विशिष्ट बालकों को निर्देशन व परामर्श देते समय क्या सावधानियाँ रखी जानी चाहिये? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चिकित्सा कर्मचारी किस प्रकार निर्देशन प्रक्रिया में योगदान देते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन प्रक्रिया में शारीरिक शिक्षक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य के निर्देशन सम्बन्धी उत्तरदायित्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन में शिक्षक की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोचिकित्सक की भूमिका बताइये।